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क्वीन
आयुष्मान, यक्षकू और प्रतीक एक दोहरी ज़िन्दगी जीते हैं। दिन में वे ऱोजाना की नौकरी करते हैं। रात में वे अदाकार हैं। वे 'ड्रैग क्वीन' हैं। वे लश, कुश और बेट्टा की पहचान लेकर क्लब और इवेंट में परफॉर्म करते हैं। उनके लिए ड्रैग उनकी स्त्रैण रूप की अभिव्यक्ति बन जाती है। वे पश्चिम के मशहूर ड्रैग आर्टिस्ट रुपॉल से प्रेरित हैं। वे भारत के बढ़ते हुए 'ड्रैग सीन' में अपनी जगह बना रहे हैं। इस फोटो-निबंध में पहचान के बदलते रूप को समझने की कोशिश की गयी है।
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